धनंजय कलम से , मन की बात
मन की बात कहे तो चुनावी वादा तो एकदम भानुमति का पिटारा बन गया है । एक से एक चुनासी वादा प्रगट हो रहा है । चुनावी वादा की बरसात मे चुनाव का असली मकसद ही बह जाता है । बड़े – बड़े चुनावी वादा का महल बिना बुलडोज़र् के ही ढह जाता है । ठप्पा लगने की देर है , फिर तुम कौन हम कौन ।
सब चीज़ बदल रही है उसमे वादा भी अपना वास्तविक स्वरूप भूल गया तो क्या ? प्राण जाये पर वचन ना जाये , के वादे पर आज विश्वास करना मतलब फुस्की बम । आज चुनावी वादे किये जाते हैँ , कोई ज़ज़्बाती वचन नहीं दिये जाते हैं । वादा गीतों के बोल भर रह गये हैं । किसी भारी आवाज़ मे बोली गयी dilouges मात्र ।
चुनावी वादों की शक्ल – सूरत भी बदल गये है । गांव के चौपालो पर होने वाले चर्चा की विषय बदल गये हैं तो वादों की रूप रेखा क्यूं नस बदले ? उस पर से मृग मरिचिका जैसी चुनावी वादा । वादों का ऐसा गुलदस्ता जिसमे फूल नहीं, पत्ते अधिक होते हैँ ।फूल भी ऐसे जैसे मंदिर से उतर कर दुबारे से बाज़ार मे आ गये हो ।
चुनावी वादा जुमला होता है चुनाव जितने का ।जैसे कौलर से टूट कर रास्तो पर गिरे बटन नहीं मिलता है , भोली जनता को वादों का मलाई चखने को नहीं मिलता । हाँ, आपने जिनके evm को अपने सोने – चांदी से भर डाला , आपने अपना स्वामित्व दे डाला , उनकी आवाज़ आपके कानो में बराबर गूंजती रहेगी । मैंने, मैंने ये किया । मैंने वो किया जो आज तक किसी ने नहीं किया । आपने जिस पर भरोसा किया जाने वो आपका भला कब करेंगे ।
वादे तो तोड़ने के लिए ही किये जाते हैँ । लोगों से अक्सर सुना है । वो तो हम ही हैं जो ऐन समय पर ही भूल जाते हैँ ।वो हैँ की आपना पैर चादर से बाहर फैला देते हैं और हम हैँ कि जाने कौनसी तरक्की देख खुश होते रहते हैँ । नहंगाई के नाम पर आकर महंगाई ख़तम कर् दिया ,कि सड़को पर भटकने वालों को दफ़्तर मे कुर्सी दिला दिया ।
चुनावी वादा का ढोल ज़ोरो पे है । अब तुम पर है , नाचोगे , कान में रुई डालोगो या फिर ढोल फोड़ोगे !!!
गुस्ताखी माफ़ ❤️🙏🤪https://youtube.com/shorts/ncf_aTK1Q30?si=bRafS6iXnYcmz22M