Tyoharo me tyohar election, Slection, Matdan, Vote
त्योहारो में त्योहार इलेक्शन का मौसम है ।मगर अपने यहाँ चुनाव का मौसम तो हमेशा ही रहता है । कभी यहाँ तो कभी वहाँ । कभी इसका तो कभी उसका । 😛
चुनावी मौसम में खूब गहमा – गहमी होती है । ईद की चाँद की तरह , जो चेहरे नहीं दिखते हैं वो भी दिखाने लगत हैं ।तोहफो और वादों की बारीश होने लगती हंसी । बदसूरत दिखती सड़के अचानक खुबसूरत दिखने लगती है । बैंड बाजा के साथ हाथ जोड़े नेतागण , अचानक से हम भी बड़े दिखने लगते हैं ।
हर बार election में यही हल रहता है । सबको पता होता है , ये चार दिन की चांदनी वाली बात है । फिर भी हम खुश हो लेते हैं स्कूल के बच्चों की तरह कि चलो आज छुट्टी है । Busy life में से जो ये समय मिला है उसे परिवार – बच्चों के साथ , मज़ा करते मिटाते है ।
Election से पहले पार्टियां ही नहीं , हम भी खूब planing करते हैं । इस बार अच्छे नेता को जितना है , अच्छी party को अपना vote देना है । पर ना जाने कटा होता है ? vote किसे दिया जीता कौन ? माना कि पहले भी यही होता था । पहले तो हर कोई मतदान कर भी नहीं पता था । आज हालात बहुत सुधरे हैं । बहुत तरक्की हुई है । पर अगर वोट सही जगह पहुंचे ही नहीं तो फिर क्या फायदा मतदान का ? यही सोच बहुत लोग मतदान नहीं भी करते हैं । समय की बर्बादी समझते हैं । ओर ये उचित नहीं है । अपना कर्तव्य निभाइये , तभी हक़ के लिए लड़ भी सकते हैँ ।
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